कुछ तो जरूर बदल सा गया है
परिवर्तन के इस बवंडर में,
मोहब्बत के इस समंदर में,
तेरे प्यार का अक्श घुल सा गया है।
कुछ तो जरुर बदल सा गया है।।
रोज़ सुबह चिड़ियों का चहचाना
फूलों की खुशबू और बसंत का आना,
मन मेरा तेरी खातिर मचल सा गया है।
कुछ तो जरुर बदल सा गया है।।
देख हरे भरे ये वन उपवन
हो जाता है पुलकित मेरा मन
चाहत के दरिया में एहसास ढल सा गया है।
कुछ तो जरुर बदल सा गया है।।
तू कुछ कहने सुनने की कोशिश ना कर
मेरी हालत भी समझने की कोशिश ना कर
क्योकि तेरे दिल में मेरा प्यार पल सा गया है।
कुछ तो जरुर बदल सा गया है।।
तेरी चाहत की खुमारी में
मेरी मोहब्बत की बेकरारी में
ज़माना ये सारा जल सा गया है।
कुछ तो जरुर बदल सा गया है।।