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6 Jan 2024 · 1 min read

**कुछ तो कहो**

**कुछ तो कहो**
**************

तुम कुछ तो कहो
कुछ कहते रहो

मैं चुप चाप हूँ
तुम बताते रहो

बातों ही बातों में
बातें बनाते रहो

चुप मार डालेगी
गीत गाते रहो

चाहे कोई न सुने
कुछ सुनाते रहो

वक्त किसे है यहाँ
वक्त बीताते रहो

तन्हाई से बचिए
हाथ मिलाते रहो

एतबार टूट गए
ढांढा बंधाते रहो

मन में धीर धरो
मन समझाते रहो

प्रेम मिलता न हीं
प्यार बांटते रहो

राज होते हैं गूढ़े
बस छिपाते रहो

हवाएँ तेज चले
घर बचाते चलो

रास्ते कांटों भरे
राहें बनाते रहो

नफरतें हैं फैली
स्नेह लुटाते रहो

मनसीरत है कहे
यूँ मुस्कुराते रहो
*************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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