कुछ तेरी बातें, कुछ मेरी बातें
मन में जो मिश्री घोले
वह सुरमई शाम सुहानी थी
पूनम का वह चांद
मुस्काती रात दिवानी थी
ढीठ चांद भी सुनता रहता
वह हमारी मौन कहानी थी
सूर्योदय के किरणों ने
नव किरणें सजाई थी
चिड़ियों के कलरव में बसी
नई राग – रागिनी थी
दीपशिखा भी रात को हरा
झूम झूम फिर मुस्कायी थी
फिर शाम की पाखों में
नई लालिमा बिखरी थी
इन रंगों में कुछ तेरी बातें
कुछ मेरी बातें निखरी थी ।