कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे
ऐसे तो कैसे मालूम होगा।
कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे।।
मिट जाये सारे मन के भ्रम।
कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे।।
ऐसे तो कैसे ——————।।
क्या नाम है, कहाँ रहते हो।
क्या करते हो, हम तुम जानें।।
क्या हम हैं एक दूजे के काबिल।
यह बात भी हम तुम जानें।।
क्या है कहानी हमारी तुम्हारी।
कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे।।
मिट जाये सारे मन के भ्रम।
कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे।।
ऐसे तो कैसे—————-।।
कैसे हटाये तुम्हारा यह चिलमन।
देख रहा है हमको जमाना।।
लेकिन छुपाने से नहीं छुपेगा।
हमारी मोहब्बत का अफसाना।।
अपने इस दिल का राज खत में।
कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे।।
मिट जाये सारे मन के भ्रम।
कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे।।
ऐसे तो कैसे—————।।
क्या है अपनी राहें- मंजिल।
नहीं जानते हैं यह भी हम।।
क्या है हमारे जीवन के सपनें।
क्या मांगते हैं खुदा से हम।।
अपनी दुहा और अपनी ख्वाहिश।
कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे।।
मिट जाये सारे मन के भ्रम।
कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे।।
ऐसे तो कैसे——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)