Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2022 · 2 min read

“कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलें”

🌹कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलें🌹
=======================

ना तुम आती अपनी आदतों से बाज,
अनसुनी करते हम भी तेरी फ़रियाद ,
सच है, सच्चाई को छूती तेरी हर बात,
पर तू समझ ना पाती मेरे हर जज़्बात,
घुटन सी लगती… एक दूसरे का साथ,
सुनो, कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।

क्यों होता ये अक्सर ही हमारे साथ…
हम नहीं करते एक दूसरे को बर्दाश्त ,
हमें लगता है तेरी हर बात बेबुनियाद,
तुम्हें भी सुकून नहीं देता हमारा साथ,
फ़िज़ूल बहस में होती तबियत ख़राब,
सुनो, कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।

हर कार्य अपने पूरे करता मैं देर रात,
पर तू सदैव कहती करने प्रातः काल,
मैं अपनी धुन में न सुनता तेरी ये बात,
तू भी ज़िद पे अड़ी टोकती दिन – रात,
जो भी हो, ठीक नहीं आपस में ये रार,
सुनो, कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।

लगा रहता दोस्तों का सतत आना-जाना,
मुझे भी पसंद है संग मिलके बातें बनाना,
बिगड़ती दिनचर्या,न कोई वक्त का पैमाना,
इन्हीं बातों पे शुरू हो जाता तेरा इतराना,
छोटी-छोटी बात का यूॅं ही बतंगड़ बनाना,
नापसंद मुझे ज़िंदगी का यूॅं तंगहाल होना,
सुनो…. कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।

जुदा है तेरी हर सोच संग कार्य प्रणाली,
है तू मन की मतंग , थोड़ी सी मतवाली,
हाॅं दिखाती जोश व जज़्बे हिम्मतवाली,
जाता जब मैं पूरब, तू पश्चिम जानेवाली,
विविध सोच से गृहस्थी नहीं चलनेवाली ,
बदलनी ही होगी अब हमारी जीवन शैली,
सुनो…. कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।

ज़्यादा पसंद नहीं करता मैं घूमना-फिरना,
यूॅं ही फ़िज़ूल में अपना वक्त ज़ाया करना,
ज़रूरी होने पर ही चाहता बाहर निकलना,
पर तुझे पसंद नहीं मेरा पुराना सोच रखना,
तू चाहती आज के युग जैसा आगे बढ़ाना,
पर मुझे भी पसंद नहीं तेरा ये ताना – बाना,
फिर भी कुछ बदलाव जरूरी है हमें करना,
अब चलो, कुछ तुम बदलो,कुछ हम बदलें।

© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
( स्वरचित एवं मौलिक )
@सर्वाधिकार सुरक्षित ।
दिनांक :- 10 / 05 / 2022.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Language: Hindi
9 Likes · 2 Comments · 957 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कर दिया
कर दिया
Dr fauzia Naseem shad
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
Future Royal
Future Royal
Tharthing zimik
झरोखों से झांकती ज़िंदगी
झरोखों से झांकती ज़िंदगी
Rachana
1 *मेरे दिल की जुबां, मेरी कलम से*
1 *मेरे दिल की जुबां, मेरी कलम से*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
संबंध क्या
संबंध क्या
Shweta Soni
।।
।।
*प्रणय*
मैं अकेला नही हूँ ।
मैं अकेला नही हूँ ।
Ashwini sharma
......... ढेरा.......
......... ढेरा.......
Naushaba Suriya
"पनघट की गोरी"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
हद से ज्यादा बढी आज दीवानगी।
हद से ज्यादा बढी आज दीवानगी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
4491.*पूर्णिका*
4491.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिंदी का अपमान
हिंदी का अपमान
Shriyansh Gupta
" घास "
Dr. Kishan tandon kranti
पैरालंपिक एथलीटों का सर्वोच्च प्रदर्शन
पैरालंपिक एथलीटों का सर्वोच्च प्रदर्शन
Harminder Kaur
भावना का कलश खूब
भावना का कलश खूब
surenderpal vaidya
न कोई जगत से कलाकार जाता
न कोई जगत से कलाकार जाता
आकाश महेशपुरी
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
Neeraj Agarwal
இந்த உலகில்
இந்த உலகில்
Otteri Selvakumar
*तीरथ-यात्रा तो मन से है, पर तन का स्वास्थ्य जरूरी है (राधेश
*तीरथ-यात्रा तो मन से है, पर तन का स्वास्थ्य जरूरी है (राधेश
Ravi Prakash
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
Beautiful Lines
Beautiful Lines
पूर्वार्थ
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
सकुनी ने ताउम्र, छल , कपट और षड़यंत्र रचा
सकुनी ने ताउम्र, छल , कपट और षड़यंत्र रचा
Sonam Puneet Dubey
भारत के राम
भारत के राम
करन ''केसरा''
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वसंत
वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वह सिर्फ तू है
वह सिर्फ तू है
gurudeenverma198
एहसान फ़रामोश
एहसान फ़रामोश
Dr. Rajeev Jain
दिवाली के दिन सुरन की सब्जी खाना क्यों अनिवार्य है? मेरे दाद
दिवाली के दिन सुरन की सब्जी खाना क्यों अनिवार्य है? मेरे दाद
Rituraj shivem verma
Loading...