कुछ टूट गया
जीवन की सार्थकता में,
कर्तव्यों की सम्पूर्णता में ,
कुछ छूट गया मुझ में
कुछ टूट गया मुझ में ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
जीवन की सार्थकता में,
कर्तव्यों की सम्पूर्णता में ,
कुछ छूट गया मुझ में
कुछ टूट गया मुझ में ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद