कुछ ज्ञानवर्धक पहेलियां बताओ तो जाने
कहो कौन हो दमयंती सी,इस तरु के नीचे सोई।
हाय तुम्हे भी छोड़ गया,कोई नल सा निष्ठुर कोई।।
एक घड़ा मोतियों से भरा,सिर पर वह ओंधा धरा।
चारो तरफ घूमता है,फिर भी एक मोती न गिरा।।
निकलते ही सब मुझको,करते है जग में प्रणाम।
चारो दिशाओं का देता हूं,सबको अच्छा ज्ञान।।
घटता बढ़ता हूं रात दिन,गगन की यात्रा करता हूं।
ओझल हो जाता हूं किसी दिन दिखाई न देता हूं।।
चलती रहती हूं रात दिन,फिर भी मै न थकती।
अपने प्रियतम से मिलकर ही अंतिम सांस लेती।।
उत्तर में रखवाली करता मेरी, पर्वतराज विराट है।
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम