कुछ जो बाकी है
कुछ जो बाकी है, वो है यादों का खजाना
जो भूले-बिसरे पलों को समेटे हुए है
जैसे तस्वीरों का एक एल्बम,
जहाँ खुशियों के पल, गम के आंसू,
दोस्ती की मस्ती, प्यार के खट्टे मीठे गीत,
खोई हुई मुस्कान, और हँसी की गूँज,
जिंदगी के हर पल का निशान
यादों के इस खजाने में महफूज है
जो पल अब बीत चुके हैं,
वो यादों के रूप में अभी भी ताज़े हैं
ये यादें हमें हमारे अतीत से जोड़ती है
और हमारे दिल को छू जाती है।
– सुमन मीना (अदिति)