कुछ ज़ब्त भी
कुछ ज़ब्त भी कमाल है।
कुछ दर्द बे’मिसाल है।
कुछ जिस्म की ज़रूरतें,
कुछ रूह का सवाल है।
कुछ ख़्वाहिशों की बेबसी,
कुछ दिल का भी ख़्याल है।
कुछ ख़ुद में हम अधूरे हैं,
कुछ ज़ीस्त का सवाल है।
कुछ तुमको हैं शिकायते,
कुछ हमको भी मलाल है।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद