कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
सभा बुलाई है।
राजा को अब फेंक उखाड़ें, मिसल बनाई है।।
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पप्पू- गप्पू चोर लुटेरे,
सब सॅग साथ हुए।
चारा खाकर कुछ बंदों ने,
नव सौपान छुए।
दंड संहिता से बचने की, जुगत लगाई है।
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चोर-चोर मौसेरे भाई,
शोर मचाते हैं।
काले कौवे मिलकर जैसे,
सुर में गाते हैं।।
भानुमती के कुनबे ने यह,सेज सजाई है।।
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तथ्य नहीं है बातो में कुछ,बस बर्राते हैं।
दिन में सपन देखते हैं जो,
सच झुठलाते हैं।
तरह-तरह के आरोपों की, झड़ी लगाई है
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