कुछ गलती हमारी है।
ख़ामोशी भी दिले यार का तोहफ़ा होती है।
सजा ज़िंदगी लगती है गर बात ना होती है।।1।।
चांदनी के साए में हम यूं ही पीकर बैठे है।
हर वक्त ना जानें क्यों तेरी ही याद करते है।।2।।
इतने शोर था मयखाने में वहां ना चढ़ी हमें।
इसलिए कमर को देख कर छत पर पीते है।।3।।
बड़ा गुरुर था चांद को अपनी खूबसूरती पर।
देखके मेरे दिलबरे हुस्न को वो भी छुप गया।।4।।
क्या बताए सूरत ओ सीरत अपनें महबूब की।
खुदाये फरिश्ता भी उसका दीवाना खुद हुआ।।5।।
अब क्या सुनाए हम दास्तानें मोहब्बत अपनी।
कुछ गलती हमारी है और बेवफाई है उनकी।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ