*कुछ खो गया (गीतिका)*
कुछ खो गया (गीतिका)
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( 1 )
जिंदगी की दौड़ में ,कुछ पा गया कुछ खो गया
सोचना अच्छा नहीं ,जो हो गया सो हो गया
( 2 )
वर्ष सौ जगते हुए ही आदमी चलता रहा
और उसके बाद में जब थक गया तो सो गया
( 3 )
ईश को मैंने बुलाया एक बच्चे की तरह
एक झरना आया मुझको खूब तेज भिगो गया
( 4 )
सभ्यता का अर्थ जंगल काटना होता नहीं
सभ्य वह जो बीज पेड़ों के धरा पर बो गया
( 5 )
फूलमाला में सभी को फूल तो दिखते रहे
कब दिखा धागा सभी को एक साथ पिरो गया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451