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27 Apr 2020 · 1 min read

कुछ ख़्याल बस यूँ ही।

अरसे बाद कुछ ख्यालों को,
पन्ने पर रखने बैठा हूं,

ऐ कलम मेरा हाथ बँटा ,
आज फिर मैं लिखने बैठा हूं,

तेरी हर आज़माइश के,
स्वाद को चखने बैठा हूं ,

ऐ वक़्त तू कीमत तो बता,
बेमोल मैं बिकने बैठा हूं।

कवि-अंबर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 342 Views
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