कुछ ख़्याल बस यूँ ही।
अरसे बाद कुछ ख्यालों को,
पन्ने पर रखने बैठा हूं,
ऐ कलम मेरा हाथ बँटा ,
आज फिर मैं लिखने बैठा हूं,
तेरी हर आज़माइश के,
स्वाद को चखने बैठा हूं ,
ऐ वक़्त तू कीमत तो बता,
बेमोल मैं बिकने बैठा हूं।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।
अरसे बाद कुछ ख्यालों को,
पन्ने पर रखने बैठा हूं,
ऐ कलम मेरा हाथ बँटा ,
आज फिर मैं लिखने बैठा हूं,
तेरी हर आज़माइश के,
स्वाद को चखने बैठा हूं ,
ऐ वक़्त तू कीमत तो बता,
बेमोल मैं बिकने बैठा हूं।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।