कुछ खट्टे पल अब बीत गए हैं – – – रघु आर्यन
कुछ खट्टे पल अब बीत गये हैं,
कुछ मीठे पल मन जीत गये हैं ।
कुछ मधुर मिलन की यादें हैं,
कुछ बिछुड़न के मर्यादें हैं ।
कुछ मेहनतकश मजदूर रहा,
कुछ दुख से भी भरपूर रहा ।
कुछ आरामो सा जीवन त्यागा,
कुछ अरमानों के पीछे भागा ।
कुछ संतुष्ट हुआ मन प्रफुल्ल हुआ,
कुछ बिखर गया मन सिहर गया ।
कुछ गये वर्ष अब यूँ बीत जहाँ,
कुछ कोपल खिलता आया अब नव वर्ष यहां ।
कुछ प्रण-प्रकल्प के जुड़ तार नया,
कुछ उर्जा तन मन संचार गया ।
कुछ सुंदर सपने जो पाना है,
कुछ दुनिया को कर दिखलाना है ।
कुछ करना है कुछ पाना है,
कुछ के खातिर कुछ कर जाना है ।
कुछ संकल्पों मे अब जुट जाना है ।
___रघु आर्यन