Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Apr 2023 · 1 min read

कुछ क्षणिकाये आज के समय की

इंसानियत जा चुकी हैं।
हैवानियत आ चुकी हैं।।

इन्सान अब सो चुका है।
हैवान अब जग चुका है।।

चुनावो का आज दौर है।
नेताओं का आज शोर है।।

बिजली पानी भी मुफ्त है।
राशन मकान भी मुफ्त है।।

भले ही लालच बुरी बला है।
पर जीतने की यही कला है।।

भ्रष्टाचार आज बेलगाम है।
करते सभी उसे सलाम है।।

भ्रष्टाचार चरमसीमा पर है।
जवान देश की सीमा पर है।।

सौ में से नब्बे बेईमान है।
फिर भी मेरा देश महान है।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

3 Likes · 5 Comments · 248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
Ajad Mandori
आग़ाज़
आग़ाज़
Shyam Sundar Subramanian
अजीब मानसिक दौर है
अजीब मानसिक दौर है
पूर्वार्थ
Love life
Love life
Buddha Prakash
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
Phool gufran
संस्कारों और वीरों की धरा...!!!!
संस्कारों और वीरों की धरा...!!!!
Jyoti Khari
छलनी- छलनी जिसका सीना
छलनी- छलनी जिसका सीना
लक्ष्मी सिंह
तत्काल लाभ के चक्कर में कोई ऐसा कार्य नहीं करें, जिसमें धन भ
तत्काल लाभ के चक्कर में कोई ऐसा कार्य नहीं करें, जिसमें धन भ
Paras Nath Jha
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मेहनत
मेहनत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आरक्षण
आरक्षण
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
कस्तूरी इत्र
कस्तूरी इत्र
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्रेम दिवानों  ❤️
प्रेम दिवानों ❤️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*तुम्हारा साथ जब मिलता है, तो मस्ती के क्या कहने (मुक्तक)*
*तुम्हारा साथ जब मिलता है, तो मस्ती के क्या कहने (मुक्तक)*
Ravi Prakash
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
कवि रमेशराज
मस्ती का माहौल है,
मस्ती का माहौल है,
sushil sarna
*नववर्ष*
*नववर्ष*
Dr. Priya Gupta
कर्जा
कर्जा
RAKESH RAKESH
समय न मिलना यें तो बस एक बहाना है
समय न मिलना यें तो बस एक बहाना है
Keshav kishor Kumar
देश का वामपंथ
देश का वामपंथ
विजय कुमार अग्रवाल
किया है तुम्हें कितना याद ?
किया है तुम्हें कितना याद ?
The_dk_poetry
आपकी यादें
आपकी यादें
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
महावीर उत्तरांचली आप सभी के प्रिय कवि
महावीर उत्तरांचली आप सभी के प्रिय कवि
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ख़ामोश निगाहें
ख़ामोश निगाहें
Surinder blackpen
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
*Author प्रणय प्रभात*
अपने जमीर का कभी हम सौदा नही करेगे
अपने जमीर का कभी हम सौदा नही करेगे
shabina. Naaz
युग युवा
युग युवा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अब मेरी मजबूरी देखो
अब मेरी मजबूरी देखो
VINOD CHAUHAN
औरों के धुन से क्या मतलब कोई किसी की नहीं सुनता है !
औरों के धुन से क्या मतलब कोई किसी की नहीं सुनता है !
DrLakshman Jha Parimal
अन्तर्मन की विषम वेदना
अन्तर्मन की विषम वेदना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Loading...