कुछ क्षणिकाएं:
कुछ क्षणिकाएं:
याद और बरसात :
सो गई रात
साथ लिए
यादों के आघात
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यादों के आघात
आग बढ़ाए
सावन की बरसात
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सावन की बरसात
अंग अंग में आग लगे
काटे कटे न रात
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काटे कटे न रात
सुधियों से न जा सकी
वो पहली बरसात
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वो पहली बरसात
दे गई वो देह पर
स्पर्शों की सौगात
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सुशील सरना/1-7-24