कुछ काम करो
आए हो तुम इस जग में तो
कुछ काम करो, कुछ काम करो
ऐसे ही समय के गर्द में
तुम कहीं गुम न हो जाओं
इसलिए समय के साथ कदम मिलाकर
कुछ नाम करो, कुछ नाम करो
कुछ काम करो ,कुछ काम करो
छोटी – मोटी चोटों से तुम
अपने मन को न निराश करो
सपनों के पंख को मजबूत करो
और साहस का उड़ान भरो
तलाश करो तुम अपनी मंजिल
यू व्यर्थ में न अपना जीवन
तुम बेकार करो
कुछ काम करो, कुछ काम करो।
कल को किसने देखा है
आज और अभी शुरुरात करो
उठों चलो आगे बढ़ो तुम
अपने मन की आवाज सुनों
बहक न जाए तेरे कदम
इसलिए लक्ष्य का ध्यान करो
जीवन मे संघर्ष बहुत है
अभी नही तुम आराम करो
कुछ काम करो,कुछ काम करो।
यू न बैठकर बीच राहों में
मंजिल का तुम इंतजार करो
मंजिल मिलेगी या नहीं
इस हार जीत का अभी से ही
तुम अपने मन में न ख्याल करो
अपने सपनों मे उड़ान भरो तुम
और लक्ष्य का रसपान करो
कुछ काम करो, कुछ काम करो।
आए मन में जब निराश के बादल
हौसलो से उसे छिटका देना
एक लम्बी सी साँस लेकर
अपने मन के डर को हवा मे उड़ा देना
एक थपकी देकर कहना तुम
अपने दिल की धड़कन से
तुम इतनी कमजोर नही है
तुम सब कुछ कर सकते हो।
कोई भी ऐसी मंजिल नही
जिसे तुम पा नही सकते हो।
बस सच्चे मन तुम ईश्वर का ध्यान करो
कुछ काम करो,कुछ काम करो।
~अनामिका