कुछ करने की सोच
है रही सोचकुछ करने की
है यही सोच कुछ करने की
पर परबश होकर जीता हू
है यही सोच कुछ करने की
पर बरबश ही स्पृहा रही
सपनो को जो साकार करे
धन पद का जो विस्तार करे
है यही सफलता कहते है
जो अपना ही उद्धार करे।
है यही सोच इस जग की
अपना सोचे न सब की।