कुछ उन्हें भी याद कर लो
कुछ उन्हें भी याद कर लो
तुम मनाओ प्यार का दिन
तुम मनाओ यार का दिन
रूप रस श्रृंगार का दिन
तर्ज़ की ईजाद कर लो
कुछ उन्हें भी याद कर लो ।।
राष्ट्र की गरिमा बढ़ाते हम उन्हें क्यों भूल जाते
दो घड़ी बस याद करते कब हमें वो याद आते
रक्त रण झंकार का दिन
राष्ट्र के उद्धार का दिन
तुम ज़रा फ़रियाद कर लो
कुछ उन्हें भी याद कर लो ।।
ख़ुद के घर को ही जलाया देश द्रोही कौन थे वो
भीष्म तेरी राह चल कर भर सभा में मौन थे वो
जल उठा अंगार का दिन
आ गया संहार का दिन
अब ज़रा सा नाद कर लो
कुछ उन्हें भी याद कर लो ।।
तम के सर को काँट देते कार्य पथ पर वे प्रबल हैं
क्या बिगाड़े काल कोई ध्येय उनका जब अटल हैं
खिल उठा सत्कार का दिन
धन्य साक्षात्कार का दिन
तुम ज़रा दिल शाद कर लो
कुछ उन्हें भी याद कर लो