कुछ इस तरह से खेला
कुछ इस तरह से खेला
इस ज़िन्दगी का खेल
बेमेल लोगों से हमेशा
हमनें रखा मेल।
कुछ इस तरह से तय
किये हैं हमने रास्ते
दफन कर दीं ख्वाहिशें
मंज़िल के वास्ते।
कुछ इस तरह से पूरी की
हमने किताबे ए दिल
हर इक सफे पे लिखा”
फुर्सत में खुद से मिल”।
****धीरजा शर्मा******