तेरी कमी……
कुछ इस तरह से किसी की कमी को देखा है
जैसे आसमानी चांद ने जमीं को देखा है
घटाएं बरसती ही नहीं अब यहां कभी
जबसे इन आंखों की नमी को देखा है
खुशनसीबी का आलम कुछ यू रह गया है
बदनसीबी ने जब भी देखा हमी को देखा है
फिर कभी दिल लौट नहीं पाया दिन की ओर
तेरे जाने के बाद फकत तमी को देखा है
-.- काव्यश