कुछ आवाजें कभी मर नहीं सकतीं
एक वो आवाज़, जिसे बचपन की लोरी में गुथा पाते थे, जिसे मां की गुनगुनाहट सहेजे रहती थी, जिसकी मधुरता आंचल से छनकर आती धूप की तरह सुख देती थी, वो आवाज़ भला मर कैसे सकती है..जिसकी एक तान पर प्रकृति पतझड़ में भी सरगम छेड़ देती थी, उदास सपने सच होने को विहॅंस पड़ते थे, वो आवाज़ जो करोड़ों युवाओं को एकजुट करने का हौंसला रखती थी, देश के जवान तक जिसकी तरंगों से सजकर ओज से भर जाते थे, वो आवाज़ ..जो मंदिर के दीप की लौ की तरह पावनता से हृदय को छू जाती थी, यक़ीनन वो आवाज़ कभी मर नहीं सकती। वो जीवित रहेगी संपूर्ण विश्व के हर कोने में, युवाओं और वृद्ध जनों के अधरों पर.. अपनी अविचल पवित्रता के साथ! विनम्र श्रद्धांजलि आदरणीय लता जी!
स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ