कुछ आप भी तो बोलिए।
कुछ आप भी तो बोलिए।
बने शरीफ फ़र्जी,
न सुनी कोई अर्जी।
न करी मदद किसी की,
कहा इसे खुदा की मर्ज़ी।
दूसरों के दर्द में रखी ख़ामोशी,
अपनी खुशियों की रही मदहोशी।
ख़ुद मतलब की ये,
कैसी छाई बेहोशी।
जहाँ मिला फायदा,
बस उसी के हो लिए।
न हर शय को,
मतलब से तोलिए।
न रहे किसी के दर्द में चुपचाप…
कुछ आप भी तो बोलिए।
जब दर्द भी पल-2 बोलता तो,
कुछ आप भी तो बोलिए!
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78