कुंभ का मेला (बाल कविता )
कुंभ का मेला (बाल कविता )
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कुंभ लगा था जब
सब बच्चे गए देखने मेला
इतनी भीड़ भरी थी
जैसे लगता रेलमपेला
गुब्बारों में खोया राजू
वहीं रह गया अटका
अकस्मात दादा – दादी के
मन में आया खटका
लौटे करी ढुँढाई तो
राजू को रोते पाया
दादी बोलीं “मेरा बच्चा”
कहकर गले लगाया
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रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर