कुंडलिया
कुंडलिया
भीतर की शक्ति
कर में कलम कभी रहे ,कभी हृदय के पास
सुख पूर्वक वह जेब में , करती रही निवास
करती रही निवास ,वहाँ पर भाई तब तक
लिख सकने की शक्ति, रही है उसमें जब तक
स्याही हुई समाप्त , कलाम के अपने घर में
देते हैं जन फेंक ,दिखे फिर कभी न कर में
अवध किशोर ‘अवधू’
मोबाइल नंबर 9918854285
दिनांक -14-11-2024