कुंडलिया
कुंडलिया
जिसमें सबका हो भला, करना बस वह काम।
पुण्य यही सबसे बड़ा, मिले जगत में नाम।
मिले जगत में नाम, लोग सम्मानित करते।
लगते देव समान, पीर जो जन की हरते।
जानें है ये लोग, भला है जग का किसमें।
करते केवल काम, दिखे पावनता जिसमें।।
डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली