कुंडलिया
कुंडलिया
मिलता है सारा किया, जानें सब ये बात।
चंचल मन माने नहीं, करे अतुल उत्पात।
करे अतुल उत्पात, बना रावण के जैसा।
पीछे होते कंस, रूप उसका यह कैसा।
परपीड़न से देख, अधम का मन है खिलता।
ब्याज सहित इक रोज़, उसे फिर गिनकर मिलता।।
डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली