कुंडलिया
कुंडलिया
सड़कें पानी नालियां, होने लगीं दुरुस्त।
आज जोश में आ गए, नेता थे जो सुस्त।।
नेता थे जो सुस्त, कर रहे ता-ता थैया।
कहते माई बाप, तुम्हीं हो नाव खिवैया।।
कह बाबा कविराय, नाक भोर-शाम रगड़े।
आ गए निगम चुनाव, सुधर गयीं नाली सड़कें।।
-दुष्यन्त ‘बाबा’
मानसरोवर, मुरादाबाद