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7 Jul 2016 · 1 min read

कुंडलिया

दोहे
योग्य विवश होकर यहाँ, झेल रहे संताप।
बना हुआ है देश में, आरक्षण अभिशाप।
वंचित हैं वे आज भी, जिनका है अधिकार।
जाने ‘कब’ इस शाप से, होगा जन उध्दार।
इषुप्रिय शर्मा’अंकित’
रामपुरकलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
301 Views
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Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
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