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23 Nov 2023 · 1 min read

*कुंडलिया छंद*

कुंडलिया छंद
पागल दस के सामने, बुद्धिमान का मौन।
गर्मी में ठंडक भरे, ज्यों पंखे की पौन।।
ज्यों पंखे की पौन, मूर्ख समझें न फ़साना।
बहरों को हित गीत, भूलकर भी न सुनाना।।
सुन ‘प्रीतम’ की बात, लगे पग में शुभ पायल।
गले पहनना छोड़, कहेंगे सारे पागल।।

आर.एस.’प्रीतम’

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