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2 Aug 2023 · 1 min read

कुंडलिया छंद

कविताई को छोड़कर ,करो नेक कुछ काम।
देते यही सलाह नित ,मुझको लोग तमाम।
मुझको लोग तमाम , यही रहते समझाते।
रँग कर कागज़ व्यर्थ,बैठ क्यों समय बिताते।
ताने मारे रोज़ , कहे यह बात लुगाई।
दो बच्चों पर ध्यान ,बहुत कर ली कविताई।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

1 Like · 1 Comment · 320 Views
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