कुंडलिया छंद *
कुंडलिया छंद *
पारो है रूठी हुई,गुमसुम और उदास।
उसे मनाने के लिए,जाना उसके पास।
जाना उसके पास,नहीं है हृदय सबूरी।
पथ हैं सारे बंद ,साध हो कैसे पूरी।
हे ईश्वर हालात,जल्द से जल्द सुधारो।
तकती बैठी राह ,मनाने जाना पारो।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय