कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
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जप-तप पूजा पाठ कर,करूँ याद मैं नित्य।
भगवन दर्शन दे रहें, रूप चंद्र आदित्य।
रूप चंद्र आदित्य, देख मन हर्षित होता।
खुशियां मिलीं अपार, नहीं मैं धीरज खोता।
आभा जैसी आप, नहीं है कोई दूजा।
छोड अन्य सब काज , करें नित जप-तप पूजा।
_____________________________राहुल प्रताप सिंह