#कुंडलिया//तरुवर जीवन के आधार
#कुंडलिया
छाया थका पथिक चुने , माया चुने ग़रीब।
चाह सभी को है लगी , मिलता लिखा नशीब ।।
मिलता लिखा नशीब , कर्म मगर है ज़रूरी।
त्यागो तुम पाखंड , करो नहीं जी हुजूरी।
सुन प्रीतम की बात , स्वस्थ कसरत से काया।
लगा कर्म का पेड़ , मिले फल की तब छाया।
तरुवर जीवन छाँव दें , फल लकड़ी आधार।
औषधि भी बनते यही , हितकर सभी प्रकार।।
हितकर सभी प्रकार , मिले इनसे ऑक्सीजन।
वर्षा लाते घेर , करे हर्षित जो जीवन ।
सुन प्रीतम की बात , नदी पोखर या सागर।
मानें सब आभार , ज़रूरी इतने तरुवर।
हरियाली चहुँ ओर हो , जीवन हो खुशहाल।
मना जन्मदिन तरु लगा , बने यही जग चाल।।
बने यही जग चाल , फलें फूलेंगे तरुवर।
चलें हवाएँ शुद्ध , बने रोगमुक्त हर घर।
सुन प्रीतम की बात , धरा होगी मतवाली।
स्वर्ग यही पर देख , बढ़ा मानव हरियाली।
आर.एस. ‘प्रीतम’
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