कुंडलिया छंद
नेता से नाता नहीं, नेता करे अनेत।
देख दशा अब देश की, जाओ सब हीं चेत।।
जाओ सब ही चेत, नेत से नाता जोड़ो।
करे नहीं जो काम, सभी मिल उसको तोड़ो।।
कहे सचिन कविराय, शोणित चूस ये लेता।
जेबें भरते आज, हमारे ऐसे नेता।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’