कुंडलियां
आज की कुण्डलिया
सच को सुनना है नहीं , नफरत की बरसात ।
पाण्डे इतनी सी बची , सत्ता की औकात ।।
सत्ता की औकात , प्यार कुर्सी से इतना ।
नहीं सुरक्षित गात , बन्द है इनको दिखना ।
विघटन का नित जाप , दम्भ करते हैं कितना ।
नफरत की बरसात , बन्द है सच को सुनना ।।
सतीश पाण्डेय