कुंडलियां
विनोद सिल्ला की कुंडलियां
दारू मेरे देश में, करती खेल खराब|
दारू के कारण हुए, कितने घर बर्बाद||
कितने घर बर्बाद, नाश की राह दिखाए|
करते नहीं विचार, इससे नस्लें बचाए||
कह सिल्ला कविराय, विनाश पर ये उतारू|
जीवन को नुकसान, पहुंचाती है दारू||
-विनोद सिल्ला©