कुंडलियां
थोड़ी सी तारीफ में , जो भूलें औकात ।
लिख लो ऐसे लोग ही , करते ओछी बात।।
करते ओछी बात ,स्वयं मुग्धा ये रहते ।
रचते ओछे स्वांग , सदा अपनी ही कहते ।
धरती पर हैं भार , बुद्धि से दिखें निगोड़ी।
खरी खरी सच बात , भले लगती हो थोड़ी।।
सतीश पाण्डेय