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22 Jul 2022 · 1 min read

#कुंडलियां #अवधेश_की_कुंडलियां

#कुंडलियां #अवधेश_की_कुंडलियां

पायल छम छम जब बजे, दिल में उठती हूक ।
मधुर हमें उसकी लगे, कोयल जैसी कूक ।
कोयल जैसी कूक, तार झंकृत हों मन के ।
बात कहें दो टूक, मेघ आकर सावन के ।
कहते कवि अवधेश, हुआ मन चंचल घायल ।
मारे तीर अचूक, छमा छम कर वो पायल ।

©अवधेश कुमार सक्सेना अवधेश 22072022
शिवपुरी, मध्य प्रदेश

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