#कुंडलियां #अवधेश_की_कुंडलियां
#कुंडलियां #अवधेश_की_कुंडलियां
पायल छम छम जब बजे, दिल में उठती हूक ।
मधुर हमें उसकी लगे, कोयल जैसी कूक ।
कोयल जैसी कूक, तार झंकृत हों मन के ।
बात कहें दो टूक, मेघ आकर सावन के ।
कहते कवि अवधेश, हुआ मन चंचल घायल ।
मारे तीर अचूक, छमा छम कर वो पायल ।
©अवधेश कुमार सक्सेना अवधेश 22072022
शिवपुरी, मध्य प्रदेश