कुंडलियाँ
कुंडलियाँ
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जगराता माँ की करूँ
जाकर उनके द्वार।
गाउँ उनकी आरती,
हो जग का उद्धार।।
हो जग का उद्धार,
करे माँ सब की रक्षा।
माँ की कृपाप्रसाद,
सभी की होय सुरक्षा।।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
जगत की तुही विधाता।
कर दो अब उपकार,
पूण्य हो यह जगराता।।
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डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”