कुंडलियाँ
कुंडलियाँ
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खेती पाती जो करे,
होता वही किसान।
धरती की सेवा करे,
धरती का भगवान।।
धरती का भगवान,
सदा ही करे किसानी।
रखता इतनी चाह,
सुलभ हो दाना पानी।।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
कभी जो पीटे छाती।
रोये जहाँ किसान,
कहाँ हो खेती पाती।।
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रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पिपरभावना, बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822