कुंडलियाँ —आर केरास्तोगी
करत करत अभ्यास के,जड़मत हो सुजान |
रसरी आवत जात के,सिल पर होत निशान ||
सिल पर होत निशान,हो जाते है वे पक्के |
पक्के पत्थर के भी,छुड़ा देते है वे छक्के ||
कह रस्तोगी कविराय,देखो कैसा है चरत |
सब काम आसान हो जात अभ्यास करत ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम 9971006425