कुंडलिया
धोके से भी हो गयी , कहीं त्रुटी यदि एक।
भूल जायगा जगत फिर , सदा रहा तू नेक।।
सदा रहा तू नेक , मनुज की फितरत ऐसी ।
स्वार्थ नहीं गर सिद्धि , करेगा ऐसी तैसी ।
कह पाण्डे कविराय , अगर जो कोई टोके।
हो जा तुरत सवार , बिना फिर कोई धोके ।।
सतीश पाण्डेय
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