कुंडलिनी छन्द
कुंडलिनी छन्द
बिना गुरु मिलता नही, यहाँ किसी को ज्ञान।
जो गुरु से ले ज्ञान ले, बनता जगत महान।
बनता जगत महान, पिता का नाम बढ़ाये।
खुशियाँ मिले अपार, नई पहचान बनाये।
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काटे अब कटती नही, तनहा सारी रात।
करता रहता याद मैं, प्रेयसी की हर बात।
प्रेयसी की हर बात, याद कर आँसू आते।
नही पड़े अब चैन, रात कटती ना काटे।
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भैया तेरी बात से, हुईं प्रिये हैं क्रुध्द।
वो तो अपने आप को, समझे बुद्ध प्रबुद्ध।
समझे बुद्ध प्रबुद्ध, पार न होवे नैया।
आ सकती फिर लौट, पटल पर वापस भैया।
अभिनव मिश्र अदम्य