कुंडलिनी छंद
निर्धन और बुजुर्ग का,करो नहीं अपमान।
इनकी सेवा से सदा ,मिलता है वरदान।
मिलता है वरदान,प्रफुल्लित होता है मन।
सब ईश्वर संतान,धनी अनपढ़ या निर्धन।।1
जाना हमको एक दिन,तज मिथ्या संसार।
चाहे जितना हम करें,इस दुनिया से प्यार।
इस दुनिया से प्यार ,करो मत बन दीवाना।
यह असार संसार ,तथ्य ये हमने जाना।।2
जीता है हर जंग वह ,जो रखता विश्वास।
देख मुसीबत को कभी,होता नहीं उदास।
होता नहीं उदास ,खुशी का रस है पीता।
रहता है निर्भीक ,शान से जीवन जीता।।3
माली हालत क्यों हुई, बोलो खस्ताहाल।
आम आदमी कर रहा,सबसे यही सवाल।
सबसे यही सवाल ,रिक्त क्यों मेरी थाली।
घर में पसरी भूख ,देखकर रोता माली।।5
डाॅ बिपिन पाण्डेय