Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2024 · 1 min read

कीलों की क्या औकात ?

कीलों की क्या औकात ?
और बौछारों की
क्या बिसात ?
धरती फाड़ के पैदा हो जाएं
जो नन्हें बीज में भरते
इतनी जान हैं
वे मेरे देश के किसान हैं
-आनंद-

213 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ସେହି ଭୟରେ
ସେହି ଭୟରେ
Otteri Selvakumar
कूड़े के ढेर में
कूड़े के ढेर में
Dr fauzia Naseem shad
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
Vijay kumar Pandey
देखिए आप आप सा हूँ मैं
देखिए आप आप सा हूँ मैं
Anis Shah
59...
59...
sushil yadav
मोहब्बत-ए-सितम
मोहब्बत-ए-सितम
Neeraj Mishra " नीर "
"ये कैसा जमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
4183💐 *पूर्णिका* 💐
4183💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"तुम्हें राहें मुहब्बत की अदाओं से लुभाती हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
कुछ फूल खुशबू नहीं देते
कुछ फूल खुशबू नहीं देते
Chitra Bisht
आया है प्रवेशोत्सव
आया है प्रवेशोत्सव
gurudeenverma198
पिता
पिता
Sanjay ' शून्य'
कुछ लोग कहते हैं कि मुहब्बत बस एक तरफ़ से होती है,
कुछ लोग कहते हैं कि मुहब्बत बस एक तरफ़ से होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शिष्य
शिष्य
Shashi Mahajan
जो आपका गुस्सा सहन करके भी आपका ही साथ दें,
जो आपका गुस्सा सहन करके भी आपका ही साथ दें,
Ranjeet kumar patre
రామయ్య రామయ్య
రామయ్య రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"थोड़ी थोड़ी शायर सी"
©️ दामिनी नारायण सिंह
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
Rj Anand Prajapati
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कब तक कौन रहेगा साथी
कब तक कौन रहेगा साथी
Ramswaroop Dinkar
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
पूर्वार्थ
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
डॉक्टर रागिनी
जिंदगी....एक सोच
जिंदगी....एक सोच
Neeraj Agarwal
गम के आगे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के आगे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
AJAY AMITABH SUMAN
ग़ज़ल : कौन आया है ये मेरे आशियाने में
ग़ज़ल : कौन आया है ये मेरे आशियाने में
Nakul Kumar
स्वयं को सुधारें
स्वयं को सुधारें
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
■चंदे का धंधा■
■चंदे का धंधा■
*प्रणय*
Loading...