Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Dec 2020 · 1 min read

अनाज की कीमत

गुमसुद बैठा
हल कौने में
बैल आज क्यूँ
मायूस खड़ा
क्या हो गया अपने
किसान को
शहरी धूल में
क्यूँ खुद को रगड़ रहा.?

ये शहरी लोग
खा पीकर डकार मारते
नही जानते पीड़ा
किसान की
अंग्रेजी में बक देते
हो गयी दुगुनी कमाई
किसान की..?

धुप में बेहोश हो जाते
जूते बगैर इनके पैर घिसजाते
नही जानते मेहनत
किसान की
बैठ ऐसी में नियम बनाते
क्या मालूम इनको
समस्या किसान की…?

इनसे क्या उम्मीद करें
झूठी घोषणा नेता करें
धरती पुत्र खुद को कहते
सफेद कुर्ते पर
मिट्टी का दाग नही सहते ।

ये शहरी बाबू
नही समझते
कीमत किसान की
हर तौल पर
हाथ रगड़ते
भूल जाते ये औकात
शहर की ।

गर्मी-शर्दी
औला-अति वृष्टि
नही जानते
ये किस्मत किसान की
बर्बाद करते जश्न
में भोजन
नही समझते
कीमत अनाज की ।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 368 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all
You may also like:
👍आज का एलान👍
👍आज का एलान👍
*प्रणय*
तू लाख छुपा ले पर्दे मे दिल अपना हम भी कयामत कि नजर रखते है
तू लाख छुपा ले पर्दे मे दिल अपना हम भी कयामत कि नजर रखते है
Rituraj shivem verma
ग़र वो जानना चाहतें तो बताते हम भी,
ग़र वो जानना चाहतें तो बताते हम भी,
ओसमणी साहू 'ओश'
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।
manjula chauhan
प्रभु राम अवध वापस आये।
प्रभु राम अवध वापस आये।
Kuldeep mishra (KD)
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
Sanjay ' शून्य'
त्वमेव जयते
त्वमेव जयते
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
*हीरे की कीमत लगी, सिर्फ जौहरी पास (कुंडलिया)*
*हीरे की कीमत लगी, सिर्फ जौहरी पास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"" *हे अनंत रूप श्रीकृष्ण* ""
सुनीलानंद महंत
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
हश्र का वह मंज़र
हश्र का वह मंज़र
Shekhar Chandra Mitra
वह फूल हूँ
वह फूल हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हर आदमी का आचार - व्यवहार,
हर आदमी का आचार - व्यवहार,
Ajit Kumar "Karn"
बुंदेली दोहा-बखेड़ा
बुंदेली दोहा-बखेड़ा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लगाव
लगाव
Arvina
देश का वामपंथ
देश का वामपंथ
विजय कुमार अग्रवाल
रिश्तों की आड़ में
रिश्तों की आड़ में
Chitra Bisht
कभी आंखों में ख़्वाब तो कभी सैलाब रखते हैं,
कभी आंखों में ख़्वाब तो कभी सैलाब रखते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
पूर्वार्थ
मत मन को कर तू उदास
मत मन को कर तू उदास
gurudeenverma198
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
Neeraj Agarwal
हादसे
हादसे
Shyam Sundar Subramanian
" मकड़जाल "
Dr. Kishan tandon kranti
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
भारत की गौरवभूमि में जन्म लिया है
भारत की गौरवभूमि में जन्म लिया है
Sonam Puneet Dubey
चाहत बेहतर स्वास्थ्य की
चाहत बेहतर स्वास्थ्य की
Sunil Maheshwari
नसीबों का मुकद्दर पर अब कोई राज़ तो होगा ।
नसीबों का मुकद्दर पर अब कोई राज़ तो होगा ।
Phool gufran
2872.*पूर्णिका*
2872.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...