कीमतों ने छुआ आसमान
चाय के कप के दर्शन नहीं
होते हैं अब छोटे बाजारों में
कागज के छोटे कप में चाय
परोसी जाती है तलबगारों में
महंगाई के मकड़जाल ने जन
जन को जकड़ किया हलकान
हर वस्तु की मात्रा कम होती जा
रही, कीमतों ने छुआ आसमान
बाजारों के रुख पर निगरानी के
लिए कहीं कोई तंत्र नहीं दिखता
जिसके मन में जो आता है वो
उसी हिसाब से लेन देन करता
हे ईश्वर मेरे देश के कर्णधारों
को देना सन्मति औ सही मंत्र
बढ़ती हुई महंगाई पर प्रभावी
अंकुश को सक्रिय करें वो तंत्र