कि कखनो
एक सोहारी लेल
कएटा लोकनि झगडै़
सुनने रही
कि कखनो
सोन चिड़ियाँ
अहीकए देस
उ डीह तुलसी गाछ
धरि नहि जुडल छिऐ
रामायण महाभारत सँ
वेदान्त श्रेष्ठ कबो
बौध्द महावीर से इजोत
आब कि भेलैय
काहे हेरायल
उ सबटा
डेनिया देलनि
मंत्र मायर
कतहु फाटल
किनको करैज
उलझै उतेक
धरती पर बम
हाय रौ विधाता
ई छिकै भारत देस
मौलिक एवं स्वरचित
@श्रीहर्ष आचार्य